बदतर समयों में आशा के साथ लालन-पालन

हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, वा रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा। 2 भक्त लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा जन नहीं रहा; वे सब के सब हत्या के लिये घात लगाते, और जाल लगाकर अपने अपने भाई का आहेर करते हैं। 3 वे अपने दोनों हाथों से मन लगाकर बुराई करते हैं; हाकिम घूस मांगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है, और रईस अपने मन की दुष्टता वर्णन करता है; इसी प्रकार से वे सब मिलकर जालसाज़ी करते हैं। 4 उन में से जो सबसे उत्तम है, वह कटीली झाड़ी के समान दुःखदायी है, जो सबसे सीधा है, वह कांटेवाले बाड़े से भी बुरा है।

तेरे पहरुओं का कहा हुआ दिन, अर्थात् तेरे दण्ड का दिन आ गया है। अब वे शीघ्र चैंधिया जाएंगे। 5 मित्र पर विश्वास मत करो, परम मित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन अपनी अर्द्दांगिन से भी संभलकर बोलना। 6 क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और पतोह सास के विरुद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं।

7 परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा। 8 हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर; क्योंकि ज्योंही मैं गिरूंगा त्योंही उठूंगा; और ज्योंही मैं अन्धकार में पड़ूंगा त्योंही यहोवा मेरे लिये ज्योति का काम देगा। 9 मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, इस कारण मैं उस समय तक उसके क्रोध को सहता रहूंगा जब तक कि वह मेरा मुक़दमा लड़कर मेरा न्याय न चुकाएगा। उस समय वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म देखूंगा। 10 तब मेरी बैरिन जो मुझ से यह कहती है कि तेरा परमेश्वर यहोवा कहां रहा, वह भी उसे देखेगी और लज्जा से मुंह ढांपेगी। मैं अपनी आंखों से उसे देखूंगा; तब वह सड़कों की कीच की नाईं लताड़ी जाएगी।

11 तेरे बाड़ों के बान्धने के दिन उसकी सीमा बढ़ाई जायेगी। 12 उस दिन अश्शूर से, और मिस्र के नगरों से, और मिस्र और महानद के बीच के, और समुद्र-समुद्र और पहाड़-पहाड़ के बीच के देशों से लोग तेरे पास आएंगे। 13 तौभी ये देश अपने रहनेवालों के कामों के कारण उजाड़ ही रहेगा।

14 तू लाठी लिये हुए अपनी प्रजा की चरवाही कर, अर्थात् अपने निज भाग की भेड़-बकरियों की, जो कर्मेल के वन में अलग बैठती हैं; वे पूर्व काल की नाईं बाशान और गिलाद में चरा करें।

15 जैसे कि मिस्र देश से तेरे निकल आने के दिनों में, वैसे ही अब मैं उसको अद्भुत काम दिखाऊंगा। 16 अन्यजातियां देखकर अपने सारे पराक्रम के विषय में लजाएंगी; वे अपने मुंह को हाथ से छिपाएंगी, और उनके कान बहिरे हो जाएंगे। 17 वे सर्प की नाईं मिट्टी चाटेंगी और भूमि पर रेंगने वाले जन्तुओं की भांति अपने बिलों में से कांपती हुई निकलेंगी; वे हमारे परमेश्वर यहोवा के पास थरथराती हुई आएंगी, और वे तुझ से डरेंगी।

18 तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है जो अधर्म को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढांप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करुणा से प्रीति रखता है। 19 वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा। 20 तू याकूब के विषय में वह सच्चाई, और इब्राहीम के विषय में वह करुणा पूरी करेगा, जिस की शपथ तू प्राचीनकाल के दिनों से लेकर अब तक हमारे पितरों से खाता आया है।

आज हम आत्मिक लालन-पालन पर एक श्रंखला का समापन करते हैं। इस अन्तिम संदेश के लिए जो शीर्षक मैंने चुना है वो है ‘‘बदतर समयों में आशा के साथ लालन-पालन।’’ कोई भी समय ऐसे नहीं हैं जो बच्चों को जन्म देने और पालने के लिए सरल हैं। उत्पत्ति 3 की सारवस्तु ये है कि जैसे ही पाप ने जगत में प्रवेश किया, बच्चे जन्माना और बच्चे पालना बहुत कठिन हो गया। प्रभु ने हव्वा से कहा, ‘‘मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीडि़त होकर बालक उत्पन्न करेगी’’ (उत्पत्ति 3:16)। और उसके और आदम द्वारा दो लड़कों को बड़ा करने के बाद, उन में से एक ने दूसरे को मार डाला।

स्वतंत्र होने का एकमात्र तरीका

उस कहानी की सारवस्तु ये है कि अब पाप संसार में है — प्रत्येक माता-पिता में और प्रत्येक बच्चे में। और इसी प्रकार की चीज है जो पाप करता है। ये लोगों को बरबाद करता है, और ये परिवारों को बरबाद करता है। संसार में प्रमुख समस्या है, अन्तर्निवास करनेवाले पाप की ताकत। और यह एक ताकत है। यह एक बल है, एक खराबी, एक चरित्रहीनता, मानव प्राण में एक भ्रष्टता। यह स्वतंत्र चुनावों की एक श्रंखला नहीं है। पाप एक शक्तिशाली बन्धुआई है जो मानव स्वतंत्रता को नष्ट करता है।

एक मानव के लिए स्वतंत्र होने का एकमात्र तरीका — एक माता-पिता या एक बच्चे के लिए स्वतंत्र होने का — परमेश्वर के ‘आत्मा’ द्वारा नया जन्म पाना; यीशु मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में आलिंगन करना; विश्व के सृष्टिकर्ता द्वारा पाप के लिए क्षमा किया जाना; और पाप की ताकत के एकमात्र प्रतिताकत के रूप में ‘पवित्र आत्मा’ को ग्रहण करना, है। संसार के लिए और माता-पिता और बच्चों के लिए एकमात्र आशा वही है। प्रत्येक युग में यह सदैव सच है।

लालन-पालन के लिए कोई आसान समय नहीं

अतः जन्माने और नम्र, प्रेममय, धर्मी, सृजनात्मक, उत्पादक, मसीह को ऊंचा उठानेवाले वयस्कों में, उनका लालन-पालन के लिए कोई आसान समय नहीं हैं। कोई आसान समय नहीं हैं। अपितु, कुछ समय अन्य समयों से अधिक कठिन होते हैं। और वे अधिक कठिन हैं या नहीं यह आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों या सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर हो सकता है।

आज मेरी इच्छा है कि बदतर या सबसे खराब परिस्थितियों में आशा के साथ आप माता-पिता की सहायता करूं। और मेरा अर्थ है, घर में बदतर, तथा संस्कृति में बदतर, दोनों। और उनके लिए जो माता-पिता नहीं हैं, प्रत्येक बात जो मैं कहता हूँ, आप पर लागू होती है, क्योंकि बदतर समयों में आशा कैसे रखें, ये हर एक के लिए समान है। विभिन्न कारणों के लिए हमें इसकी आवश्यकता है।

भविष्यद्वक्ता मीका

यहूदी भविष्यद्वक्ता मीका ने यहूदा के राजाओं योताम, आहाज और हिजक्यियाह के शासनकालों में प्रचार किया (मीका1:1)। ये लगभग 750 से 687 ईसा पूर्व है। क्यों वह उस दृश्य में आया इसका स्पष्टतम बयान मीका 3:8 में दिया गया है।

परन्तु मैं तो यहोवा की आत्मा से शक्ति,
न्याय और पराक्रम पाकर परिपूर्ण हूं
कि मैं याकूब को उसका अपराध
और इस्राएल को उसका पाप जता सकूं।

न्याय और दया उद्घोषित करना

परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं को भेजा कि लोगों को उनका पाप स्पष्ट कर दें। और उनके पाप के साथ भविष्यद्वक्ताओं ने न्याय उद्घोषित किया, और उन्होंने दया उद्घोषित की। सम्पूर्ण बाइबिल में ये इसी प्रकार से है: न्याय और दया। न्याय और दया। परमेश्वर पवित्र और धार्मिक है, और पापमय लोगों पर न्याय पर भेजता है। और परमेश्वर दयापूर्ण और धीरजवन्त और करुणामय है, और पापमय लोगों को ‘उसके’ न्याय से छुड़ाता है। मीका इसे मीका 4:10 में स्पष्ट करता है।

हे सियोन की बेटी,
जच्चा स्त्री की नाईं पीड़ा उठाकर उत्पन्न कर;
क्योंकि अब तू गढ़ी में से निकलकर मैदान में बसेगी;
वरन बाबुल तक जाएगी।
वहीं तू छुड़ाई जाएगी;
अर्थात् वहीं यहोवा तुझे
तेरे शत्रुओं के वश में से छुड़ा लेगा।

प्रभु, ईश्वरीय-दण्ड में उन्हें बाबुल भेजने वाला है। और ‘वह’, दया में उन्हें वापिस उनकी भूमि में लाने वाला।

दण्ड आ रहा है

अध्याय 7 में, मीका, बदतर (सबसे खराब) समयों में लालन-पालन का उल्लेख करता है — घर पर बदतर और संस्कृति में बदतर। पद 1: ‘‘हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, वा रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।’’ हो सकता है कि वह इस बारे में बात कर रहा है कि वह भोजन के लिए कितना निस्सहाय है। किन्तु मुझे संदेह है कि वह भक्तिपूर्ण मित्रों और संगी-साथियों से निस्सहाय होकर, लाक्षणिक रूप से कह रहा है। क्योंकि वह आगे कहता चला जाता है, पद 2-3: ‘‘भक्त लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा जन नहीं रहा; वे सब के सब हत्या के लिये घात लगाते, और जाल लगाकर अपने अपने भाई का आहेर करते हैं। वे अपने दोनों हाथों से मन लगाकर बुराई करते हैं; हाकिम घूस मांगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है, और रईस अपने मन की दुष्टता वर्णन करता है; इसी प्रकार से वे सब मिलकर जालसाज़ी करते हैं।’’ अगुवे भ्रष्ट हैं। वे षड्यन्त्र (‘‘जालसाज़ी’’) करते हैं कि जितना अधिक वे कर सकते हैं उतनी दुष्टता करें, और इसे अच्छी तरह से करें।

पद 4: ‘‘उन में से जो सबसे उत्तम है, वह कटीली झाड़ी के समान दुःखदायी है, जो सबसे सीधा है, वह कांटेवाले बाड़े से भी बुरा है।’’ यदि मीका उनके पास जाने का प्रयास करता है, वे उसे चुभते हैं। ‘‘तेरे पहरुओं का कहा हुआ दिन, अर्थात् तेरे दण्ड का दिन आ गया है। अब वे शीघ्र चैंधिया जाएंगे।’’ अतः पहरुआ, जो शत्रु को आता हुआ देखने के लिए नियुक्त किया जाता है — उसका दिन अतिशीघ्र आ रहा है। दण्ड आ रहा है।

यहाँ तक कि पत्नी और बच्चे

अब मीका इसे संस्कृति से आस-पड़ोस और परिवार में लाता है। पद 5: ‘‘मित्र पर विश्वास मत करो, परम मित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन अपनी अर्द्दांगिन से भी संभलकर बोलना।’’ दूसरे शब्दों में, पाप और भ्रष्टता और धोखा इतने अधिक व्यापक हैं कि आपको चैकस रहने की आवश्यकता है, ऐसा न हो कि आपकी पत्नी ही आपको धोखा दे — ‘‘अपनी अर्द्दांगिन से भी।’’

अब बच्चों से। पद 6: ‘‘क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और पतोह सास के विरुद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं।’’ इस चित्र में पाँच लोग हैं। एक पिता और एक माँ। एक पुत्र और एक पुत्री। और एक बहू। अतः पुत्र विवाहित है। मीका कह चुका है कि पति और पत्नी के मध्य चीजें अनिश्चित हैं (‘‘वरन अपनी अर्द्दांगिन से भी संभलकर बोलना’’)। और अब वह कहता है कि बेटा, अपने पिता के विरोध में उठ रहा है। और बेटी अपनी माँ के विरोध में उठ रही है, और बहू, माँ के विरोध में बेटी का साथ दे रही है। मीका उन्हें मनुष्य के शत्रु तक कहता है। पद 6 के अन्त में: ‘‘मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं।’’ वह विशेषकर पुत्रों की ओर संकेत कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि बेटियाँ उसकी पत्नी पर अपना बैर-भाव केन्द्रित कर रही हैं। किन्तु उसे चोट पहुँचती है।

अब, ये दिल तोड़नेवाला है। आप में से कुछ ठीक इसी स्थिति में रहते हैं। ये बदतर समयों में से एक है। संस्कृति भ्रष्ट है, और विवाह और परिवार संकट में हैं। मीका 7 में यही तस्वीर है। आप में से कुछ के लिए आज वही तस्वीर है। और अन्य लोगों के लिए, ये कल होगी।

यीशु इसे ले आते हैं ?

इससे पूर्व कि इस स्थिति में मीका की आशा की ओर, मैं आपको संकेत करूँ, मैं चाहता हूँ कि आप देखें कि यीशु ने इस परिवार के साथ क्या किया जिसका चित्रण पद 6 में किया गया है। मत्ती 10: 34-36 खोलिये। यीशु अपने आगमन के परिणाम का वर्णन करते हैं: ‘‘यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूं। {तब ‘वे’ मीका 7: 6 को उपयोग करते हैं।} मैं तो आया हूं, कि मनुष्य को उसके पिता से, और बेटी को उस की मां से, और बहू को उस की सास से अलग कर दूं। मनुष्य के बैरी उसके घर ही के लोग होंगे।’’

यहाँ वही पाँच लोग हैं, आपके अपने घर में शत्रुओं का वही उल्लेख, किन्तु एक चैंकानेवाला अन्तर। यीशु कहते हैं कि ‘वे’ यह ले आये हैं। पद 35: ‘‘मैं तो आया हूं, कि मनुष्य को उसके पिता से … अलग कर दूं।’’ निस्संदेह, ‘उसका’ ये अर्थ नहीं है, कि ‘उसे’ परिवारों को तोड़ना पसन्द है। जो ‘उसका’ अर्थ है वो ये कि शिष्यत्व की ‘उसकी’ मूलभूत बुलाहट, अवश्य ही सम्बन्धों को विच्छेदित किया करती है। एक विश्वास करता है, दूसरा नहीं। एक पिता यीशु का अनुसरण करता है, एक पुत्र नहीं। एक पुत्र यीशु के पीछे चलता है, एक पिता नहीं। एक पुत्री यीशु के पीछे चलती है, एक माँ नहीं।

यहाँ यीशु क्यों

यीशु को यहाँ तस्वीर में लाने का अभिप्राय पहिले ये दिखाना है कि मीका के दिनों में परिवार में विघटन, आवश्यक नहीं है कि परिवार में केवल विकार के कारण है। ये परिवार में धार्मिकता के कारण हो सकता है। हर एक चीज ठीक चल रही हो सकती है जब तक कि कोई परमेश्वर के बारे में, और ‘उसकी’ वाचा के बारे में, और ‘उसके’ वचन के बारे में गम्भीर न हो गया हो। तब दोषारोपण उड़ने लगते हैं। ‘‘तुम सोचते हो कि तुम इतना अधिक बेहतर हो, अब, जब कि तुम्हें धर्म मिल गया है! सब ठीक-ठाक था, और अब तुम सोचते हो कि हम शेष लोगों को जुड़ जाना चाहिए।’’

और इस मूल-पाठ का यीशु द्वारा उपयोग किये जाने, का उल्लेख करने का अन्य कारण है, ये दिखाना कि मीका के दिनों के बारे में कुछ अनोखा नहीं था। यह 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व में सच था। ये प्रथम शताब्दी ईस्वी सन् में सच था। और यह 21वीं सदी में सच है। किसी के लिए, यह सदैव सबसे खराब समयों में से है, यदि यह आपके के लिए न हो तब भी।

तब, बदतर समयों में आशा के साथ लालन-पालन के बारे में, मीका के पास कहने को क्या है?

मीका के पास कहने को क्या है: टूटे मन के साथ दुस्साहस

वह स्वयँ का वर्णन करता है — मुझे संदेह है, एक प्रतीकात्मक पिता और इस्राएल के लोगों के एक प्रतिनिधि के रूप में — और रुख जो वह अपनाता है, वो है एक टूटे मन के साथ निर्भीकता। यही उसका सारतत्व है, जो मैं आपको बदतर समयों में लालन-पालन के बारे में कहना चाहता हूँ। इसे टूटे हृदय की निर्भीकता की मनःस्थिति से कीजिये। और इसे सुनिश्चित करने के लिए कि आप जानते हैं कि ‘‘टूटे मन का’’ से मेरा क्या अर्थ है और ‘‘दुस्साहस’’ से मेरा क्या अर्थ है, हमें पूछने की आवश्यकता है: वह किस बारे में टूटे मन का है? और किस आधार पर वह इतना निर्भीक हो सकता है ? आइये उन दो प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए हम पद 7-9 को देखें। वह किस बारे में टूटे मन का है? और वह इतना निर्भीक कैसे हो सकता है?

स्वयँ-की-धार्मिकता में नहीं

पद 6 में यह कहने के ठीक बाद कि, ‘‘मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं,’’ वह पद 7 में कहता है, ‘‘परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।’’ अतः बदतर समयों में हम प्रभु की ओर ताकते हैं। हो सकता है हमने और कहीं ताकने का प्रयास किया हो। कुछ भी काम नहीं करता।

हर चीज टूट जाती है। हमने सोचा कि कदाचित् हम परिवार को चलने दे सकते हैं। कदाचित् ये बच्चे हमारे अधिकार में होते कि जिस तरह भी हम चुनें आकृति दें। कदाचित् मात्र विवाह की उचित पुस्तकों द्वारा, गहरा परस्पर भरोसा और आदर और प्रशंसा और स्नेह हमारे अधिकार में होता। और अब। अब, हम प्रभु की ओर ताकते हैं।

लेकिन सावधान् रहिये। क्या मीका प्रभु की ओर स्वयँ-की-धार्मिकता में ताक रहा है? ऐसी चीज सम्भव है। क्या वह कह रहा है, ‘‘मैंने हर चीज ठीक की — वो सब जो एक डैडी को करना चाहिए। यदि ये परिवार नहीं चल रहा है, मेरा दिल टूट गया है, किन्तु मैं समस्या नहीं हूँ। वे हैं।’’ क्या इस व्यक्ति की वो मनःस्थिति है? नहीं, ये नहीं है। और मैं आशा करता हूँ कि ये आपकी भी नहीं होगी।

विरुद्ध पाप किया गया, किन्तु हमारे स्वयँ के पाप के प्रति सचेत

सुनिये कि वह पद 8 और 9 में क्या कहता है। निर्भीकता और टूटेपन के लिए सुनिये। वह क्यों टूटा हुआ है?

हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर; क्योंकि ज्योंही मैं गिरूंगा त्योंही उठूंगा; और ज्योंही मैं अन्धकार में पड़ूंगा त्योंही यहोवा मेरे लिये ज्योति का काम देगा। 9 मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, इस कारण मैं उस समय तक उसके क्रोध को सहता रहूंगा जब तक कि वह मेरा मुक़दमा लड़कर मेरा न्याय न चुकाएगा। उस समय वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म देखूंगा।

पद 9 का आरम्भ मत चूकिये, ‘‘मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, इस कारण मैं … उसके क्रोध को सहता रहूंगा।’’ इसे देखना पति-पत्नी और माता-पिता के लिए इतना महत्वपूर्ण होने का कारण ये है कि वह इसे वास्तव में विरुद्ध पाप किया जाने के संदर्भ में कहता है। पद 8 में, वह अपने शत्रु से कहता है (कदाचित् उसका पुत्र या उसकी पत्नी), ‘‘हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर।’’ मुझे मत घूरो। और पद 9 में मध्य में वह कहता है, प्रभु मेरा मुक़दमा लड़ेगा और मेरा न्याय चुकाएगा, मेरे विरोध में नहीं। ‘‘वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म (अंग्रेजी से अनुवाद- दोषनिवारण) देखूंगा।’’

दूसरे शब्दों में, वह जानता है कि उसके विरुद्ध पाप किया जा रहा है। वह जानता है कि उनके कुछ दोषारोपण गलत हैं। वह जानता है कि परमेश्वर उसकी ओर है और उसके विरोध में नहीं। परमेश्वर उसे अन्धियारे से बाहर निकालेगा और उजियाले में लायेगा; ‘वह’ उसे निर्दोष ठहरायेगा। वह इस आत्मविश्वास में और इस दावे में, निर्भीक है। अद्भुत रूप से निर्भीक/दुःसाहसी। जो भी हो, प्रभु के क्रोध और अपने स्वयँ के अन्धियारे के बारे में समझाने के लिए वह जिस बात पर ध्यान खींचता है, वो है उसका स्वयँ का पाप। ‘‘मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, इस कारण मैं … उसके क्रोध को सहता रहूंगा।’’

इतना टूटे मन का क्यों

तो यहाँ है उस प्रश्न के लिए मेरा उत्तर: वह क्यों टूटे मन का है ? मुख्यतः यह नहीं है कि परिवार में उसके विरुद्ध पाप किया जा रहा है, अपितु यह कि वह पाप करता है। बदतर समयों में आशा के साथ लालन-पालन करने की मनःस्थिति, टूटे मन के साथ निर्भीकता की मनःस्थिति है। और टूटा मन होने की स्थिति, सर्वप्रथम उसके स्वयँ के पाप के कारण है, और केवल तब ही उसके विरुद्ध में पाप किये जाने के कारण। ये बड़ा युद्ध है जिसका सामना हम करते हैं। परमेश्वर के अनुग्रह से, क्या हम उस प्रकार की नम्रता को ढूंढेंगे जो हमें, हमारे परिवारों और स्वयँ को, उस तरह से देखने की योग्यता देती है ?

इतना निर्भीक कैसे

दूसरा प्रश्न: वह इतना निर्भीक कैसे हो सकता है, यदि उसने पाप किया है ? वह उस तरह से कैसे बात कर सकता है जबकि उसका स्वयं का पाप उसके दिमाग में इतना स्पष्ट है? इस प्रकार की दुस्साहस कहाँ से आता है? ‘‘हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर; क्योंकि ज्योंही मैं गिरूंगा त्योंही उठूंगा … परमेश्वर मेरा मुक़दमा लड़कर मेरा न्याय चुकाएगा। उस समय वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म/दोषनिवारण देखूंगा।’’

उत्तर, अध्याय के अन्त में दिया गया है। और ये तथ्य कि यह सम्पूर्ण पुस्तक में आखिरी चीज के रूप में आता है, और यह कि ये इतना बल देकर आता है, दर्शाता है, कि पुस्तक में यह कितना परम महत्वपूर्ण है — अवश्य ही, सम्पूर्ण बाइबिल में। पद 18-19:

तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है जो अधर्म को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढांप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करुणा से प्रीति रखता है। वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा।

कारण कि मीका अपने टूटेपन में इतना निर्भीक है, यह है कि वह परमेश्वर को जानता है। वह जानता है कि परमेश्वर के बारे में वास्तव में अद्भुत और अद्वितीय क्या है। ‘‘तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है?’’ उसका अर्थ है: तेरे समान कोई परमेश्वर नहीं है। तेरे मार्ग, हमारे मार्गों से ऊँचे हैं। तेरे मार्ग संसार में किसी भी देवता से ऊँचे हैं। और तेरी अद्वितीयता क्या है? तू अधर्म को क्षमा करता और अपने लोगों के अपराध को लांघ जाता है। अतः बाइबिल के परमेश्वर के बारे में विशिष्ट अद्वितीयता — और कोई परमेश्वर है ही नहीं।

परमेश्वर की क्षमा के साथ गहिरे में जाना

तब आप, बदतर समयों में आशा के साथ लालन-पालन कैसे करते हैं? आप आशा के साथ लालन-पालन कैसे करते हैं जबकि आपका स्वयँ का परिवार, दो के विरोध में तीन और तीन के विरोध में दो, में विभाजित हो? आप प्रभु की ओर ताकते हैं। आप प्रभु को पुकारते हैं (पद 7)। और आप ‘उसे’ दो बहुत गहरी क़ायलियत के साथ पुकारते हैं। एक यह कि आप एक पापी हैं और ये कि आप परमेश्वर से कुछ पाने की योग्यता नहीं रखते। हम आदर्श माता-पिता नहीं रहे हैं। हम ने पाप किया है। और हम मूर्ख या निष्कपट नहीं हैं। हम जानते हैं कि हमारे विरुद्ध भी पाप किया गया है। वरन् हमारे शरीर में हर चीज उसके बारे में सोचना चाहती है। केवल ‘पवित्र आत्मा’ हमें हमारे स्वयँ का पाप दिखा सकता है। केवल ‘पवित्र आत्मा’ हमें हमारे दोष का बोध कराता है। ये एक गहरी क़ायलियत है।

दूसरा यह है, कि हमारे परमेश्वर जैसा कोई परमेश्वर नहीं है, जो अधर्म को क्षमा करता है और अपराध को लांघ जाता है, क्रोध से नरम पड़ जाता है, और करुणा (स्थिर प्रेम) में आनन्दित होता है। हम इसके उतने ही गहराई से क़ायल हैं जितने कि हम इसके क़ायल हैं कि हमने अपने जीवन-साथी के विरुद्ध पाप किया है और ये कि हमने अपने बच्चों के विरुद्ध पाप किया है, और ये कि इस सब में हमने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है। क्या आप देखते हैं कि कैसे दोनों महत्वपूर्ण हैं — कैसे वे दोनों साथ काम करते हैं, प्रत्येक, दूसरे की गहराई को सम्भव बनाता है? यदि आप अपने पाप और दोष की अनुभूति नहीं करते, आप परमेश्वर की क्षमा के साथ गम्भीर नहीं होंगे। किन्तु ये विपरीत तरीके से काम करता है, और यह परिवारों में महत्वपूर्ण है: यदि आप परमेश्वर की क्षमा की गहराईयों को नहीं जानते, आप अपने स्वयँ के पाप के साथ गम्भीर नहीं होंगे।

ये दो गहरी क़ायलियत, टूटे मन की निर्भीकता की मनःस्थिति उत्पन्न करती हैं। और बदतर समयों में आशा के साथ लालन -पालन करने की मनःस्थिति, वही है। विरुद्ध में पाप किये जाने के चक्रवात् के बीच, हमारे पाप के लिए टूटे हुए, और निर्भीक क्योंकि, ‘‘तेरे जैसा क्षमा करनेवाला परमेश्वर कौन है!’’

टूटे मन का दुःसाहस — यीशु में तीव्र किया हुआ

और मसीहियों के लिए, इस मनःस्थिति के दोनों अर्द्ध, यीशु को तथा हमारे लिए ‘उस’ ने क्रूस पर क्या किया, जानने के द्वारा, जड़ पकड़ते और तीव्र हो जाते हैं। मीका के लिए, अध्याय 5 में यीशु मात्र एक आशा था: ‘‘हे बेतलेहेम … तुझ में से मेरे लिये एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा … वह खड़ा होकर यहोवा की दी हुई शक्ति से … उनकी चरवाही करेगा’’ (मीका 5:2,4)। इस अच्छे चरवाहे ने भेड़ों के लिए अपने प्राण दे दिया (यूहन्ना 10:11)। और जब उसने किया, हमने पहिले से कहीं बढ़कर स्पष्टता के साथ हमारे पाप की विराटता को देखा (जिसके लिए इस सीमा तक दुःख उठाने की आवश्यकता थी) और इसे क्षमा करने के लिए परमेश्वर के संकल्प की महानता। और इस प्रकार टूटी-हृदयता और निर्भीकता तीव्र कर दिये गए।

अतः, यदि आप बदतर समयों में लालन-पालन कर रहे हैं, अथवा बदतर समयों में लालन-पालन करने के लिए तैयार होना चाहते हैं, अथवा बदतर समयों में मात्र आशा चाहते हैं, मीका की ओर देखें और यीशु की ओर देखें और ये मनःस्थिति रखें : आपके पाप के कारण, टूटापन, और मसीह के कारण निर्भीकता। तब ‘पवित्र आत्मा’ की सामर्थ में — यीशु की ख़ातिर — जितना बन सके, सर्वोत्तम त्रुटिपूर्ण माता-पिता बने रहने पर अपना मन स्थिर कीजिये।